शिमला-कालका ट्रैक पर एक और जिंदगी खत्म

सोलन। प्रतिबंधित रेलवे ट्रैक पर चलना जोखिम से भरा है। ट्रैक के किनारे लगे साइन बोर्डों की चेतावनी को लोग अनदेखा कर रहे हैं। ऐसे में शार्टकट के चक्कर में लोग रोजाना ट्रैक से जान जोखिम में डालकर गुजर रहे हैं। नतीजतन हादसे कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। रेलवे विभाग, रेलवे पुलिस और रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स की ओर से चलाए जाने वाले तमाम जागरूकता अभियानों के बावजूद भी बीते वर्षों में ट्रैक पर दुर्घटनाओं का सिलसिला जारी है। रेलवे विभाग ने ट्रैक पर चलना कानून अपराध भी घोषित किया है और ट्रैक पर चलने वाले को फाइन भी किया जा सकता है। रेलवे विभाग से जुटाए आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2009 से लेकर अब तक 20 लोग रेलवे ट्रैक से गुजरते हुए हादसों का शिकार हो चुके हैं और दर्जनों घायल हो चुके हैं। रेलवे पुलिस के हैड कांस्टबेल किशोर कुमार ने हादसों की पुष्टि करते हुए लोगों से सतर्क रहने की अपील की है।

वर्ष 2009 में 05 मौतें
शिमला कालका रेलवे ट्रैक पर वर्ष 2009 में पांच मौतें हुई हैं। 20 मार्च को 103 टनल के पास रेल कार की चपेट में आकर महिला की मौत। 21 जून को तारादेवी के पास चलती ट्रैन से गिरने से व्यक्ति की मौत। 7 नवंबर को कुमारहट्टी स्टेशन के पास महिला की मौत। 27 नवंबर को मोहन पार्क सोलन के समीप युवक की मौत। 20 दिसंबर को कुमारहट्टी स्टेशन के बीच मौत।
2010
15 मार्च को पहला हादसा बडोग कुमारहट्टी ट्रैक पर युवक की मौत, 20 अप्रैल को टकसाल में दुर्घटना, 04 मई कंडाघाट के समीप ट्रैक पर मौत, 27 अक्तूबर को हादसे और 17 दिसंबर को जतोग के हादसे में रेलवे कर्मी की ही मौत।
2011
11 फरवरी को कुमारहट्टी में नेपाली की मौत। 16 अप्रैल को टकसाल में ट्रेन के नीचे दबने से मौत, 16 अगस्त को सोलन के समीप ट्रेन के नीचे दबने से मौत। 23 अगस्त को तारादेवी के समीप ट्रेन से छलांग लगाने से मौत
2012
सोलन के समीप 39 नंबर टनल के पास 01 अप्रैल को हादसा। रबौण में 22 मई को ट्रेन हिट से मौत, 10 जून को कोटी सुरंग के पास हरियाणा निवासी की मौत। 04 अक्तूबर को जतोग में छात्र की मौत 09 नवंबर को कंडाघाट के समीप ट्रेन से टकराने से मौत। 2013 में पहला हादसा 27 फरवरी को चंबा घाट के समीप हुआ है।

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